#Desire arises इस ऊर्जा को किसी भी नाम से मत पुकारो, क्योंकि सभी शब्द प्रदूषित हो गए हैं

Desire arises इस ऊर्जा को किसी भी नाम से मत पुकारो, क्योंकि सभी शब्द प्रदूषित हो गए हैं एक छोटी सी विधि बहुत सहायक होगी। जब कभी तुम्हारे अंदर सेक्स की कामना उठे, तो वहां उसकी तीन सम्भावनाएं है: पहली है, उनको तुष्ट करने में लग जाओ, सामान्य रूप से प्रत्येक व्यक्ति यही कर रहा है, दूसरी है—उसका दमन करो, उसे बलपूर्वक अपनी चेतना के पार अचेतन के अंधकार में नीचे धकेल दो, उसे अपने जीवन के अंधेरे तलघर में फेंक दो। तुम्हारे तथा कथित असाधारण लोग, महात्मा, संत और भिक्षु यही कर भी रहे हैं।

लेकिन यह दोनों ही प्रकृति के विरुद्ध हैं। ये दोनों ही रूपांतरण के अंतर्विज्ञान के विरुद्ध हैं। तीसरी सम्भावना है—जिसका बहुत थोड़े से लोग सदैव प्रयास करते हैं। जब भी सेक्स की कामना उठे, तुम अपनी आंखें बंद कर लो। यह बहुत मूल्यवान क्षण है: कामना का उठना ऊर्जा का जाग जाना है। यह ठीक सुबह सूर्योदय होने जैसा है।

अपनी दोनों आंखें बंदकर लो, यह क्षण ध्यान करने का है। अपनी पूरी चेतना को काम केंद्र पर ले जाओ, जहां तुम उत्तेजना, कम्पन और उमंग का अनुभव कर रहे हो। वहां गतिशील होकर केवल एक मौन दृष्टा बने रहो। उसकी निंदा मत करो, उसकी साक्षी बने रहो। तुम उसकी निंदा करते हो, तुम उससे बहुत दूर चले जाते हो।

और न उसका मजा लो, क्योंकि जिस क्षण तुम उसमें मज़ा लेने लगते हो, तुम मूर्च्छा में होते हो। केवल सजग, निरीक्षण कर्ता बने रहो, उस दीये की तरह जो अंधेरी रात में जल रहा है। तुम केवल अपनी चेतना वहां ले जाओ, चेतना की ज्योति, बिना हिले डुले थिर बनी रहे। तुम देखते रहो कि कामकेंद्र पर क्या हो रहा है, और यह ऊर्जा है क्या? इस ऊर्जा को किसी भी नाम से मत पुकारो, क्योंकि सभी शब्द प्रदूषित हो गए हैं।

यदि तुम यह भी कहते हो कि यह सेक्स है, तुरंत ही तुम उसकी निंदा करना प्रारम्भ कर देते हो। यह शब्द ही निदापूर्ण बन जाता है। अथवा यदि तुम नई पीढ़ी के हो, तो इसके लिए प्रयुक्त शब्द ही कुछ पवित्र बन जाता है। लेकिन शब्द अपने आप में हमेशा भाव के भार से दबा रहता है। कोई भी शब्द जो भाव से बोझिल हो, सजगता और होश के मार्ग में अवरोध बन जाता है। तुम बस उसे किसी भी नाम से पुकारो ही मत।

केवल इस तथ्य को देखते रहो कि काम केंद्र के निकट एक ऊर्जा उठ रही है। उसमें उत्तेजना है उमंग है, उसका निरीक्षण करो। और उसका निरीक्षण करते हुए तुम्हें इस ऊर्जा का पूरी तरह से एक नये गुण का अनुभव होगा। उसका निरीक्षण करते हुए तुम देखोगे कि यह ऊर्जा ऊपर उठ रही है।

वह तुम्हारे अंदर मार्ग खोज रही है। और जिस क्षण वह ऊपर की ओर उठना प्रारम्भ करती है, तुम्हें अनुभव होगा कि एक शीतलता तुम पर बरस रही है, तुम पर चारों ओर से एक अनूठी शांति, मौन अनुग्रह आशीर्वाद और आनंद की वर्षा हो रही है। अब कोई पीड़ायुक्त है, यह ठीक एक मरहम जैसा है।

और तुम जितने अधिक सजग बने रहोगे, यह ऊर्जा उतनी ही ऊपर जाएगी। यदि यह हृदय तक आ सकती है, जो बहुत कठिन नहीं है, कठिन तो है, लेकिन बहुत अधिक कठिन नहीं है.. यदि तुम सजग बने रहे, तो तुम देखोगे कि यह हृदय तक आ गई है। जब यह ऊर्जा हृदय तक आ जाती है तो तुम पहली बार यह जानोगे कि प्रेम क्या होता है।

Samantha Ruth Prabhu ने यौन शोषण पर पोस्ट शेयर किया और तेलंगाना सरकार से खास अपील की.

Samantha Ruth Prabhu: हेमा कमेटी की रिपोर्ट के खुलासे ने सभी को चौंका दिया. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामलों का खुलासा कर दक्षिणी क्षेत्र की कई अभिनेत्रियां सुर्खियों में आ चुकी हैं। अब इस मामले में सामंथा रुथ प्रभु शामिल हो गई हैं। उन्होंने इसकी शिकायत शासन से की।

अभिनेत्रियों के यौन शोषण के खुलासे ने सभी को चौंका दिया। खेम कमेटी की रिपोर्ट में शुरुआती खुलासे के बाद से कई अभिनेत्रियां दुर्व्यवहार की घटनाओं के साथ सामने आई हैं। बहुत ही कम समय में यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई.

इस रिपोर्ट में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न, शोषण और दुर्व्यवहार के कई चौंकाने वाले मामले सामने आए। कुछ ने फिल्म सेट पर बुरा व्यवहार किया, जबकि कुछ को उनके करियर की शुरुआत में फिल्मों में आने का लालच दिया गया। यहां तक ​​कहा जाता है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री पर 10 से 15 पुरुष निर्माताओं, निर्देशकों और अभिनेताओं का नियंत्रण है। अब इसे लेकर सामंथा रुथ प्रभु ने बयान दिया है.

Janmashtami importance: जन्माष्टमी सभी सनातनी भगवान योगेश्वर श्रीकृष्ण के अवतरण दिवस

Janmashtami importance :जन्माष्टमी सभी सनातनी भगवान योगेश्वर श्रीकृष्ण के अवतरण दिवस के रूप में मनाते है । रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व (अर्थात आज जनवरी 2016 से 5128 वर्ष पूर्व) श्रीकृष्‍ण का जन्म हुआ। ज्योतिषियों के अनुसार रात 12 बजे उस वक्त शून्य काल था।
भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण पृथ्वी पर बढ़ रहे अत्याचार के कारण हुआ था । जब संसार में पाप और पुण्य का असंतुलन होता है तो फिर भगवान अपने किसी न किसी अवतार में आते है ।
जन्माष्टमी के दिन भक्तगण उपवास करते है भगवान कृष्ण का पूजन करते है और उन्हें अच्छे- अच्छे स्वादिष्ट पकवानों से भोग लगाते है यह दिन बहुत ही पावन दिन के रूप में मनाया जाता है और रात्रि आरती के बाद ही भक्तगण अन्न लेते है ।
जन्माष्टमी को लगभग पूरे भारतवर्ष में बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है परंतु भारत के उत्तरी भाग में इसे अधिक महत्व दिया जाता है ।
महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में दही हाण्डी का खेल खेला जाता है और भगवान कृष्ण के बालस्वरूप की लीलाओं को याद किया जाता है ।

जन्माष्टमी से सीख :

जन्माष्टमी हमें यह सिखाती है कि बुराई का स्वरूप कितना बड़ा क्यों ना हो जाये और अच्छाई चाहे जितनी भी कमजोर लगे परंतु एक समय ऐसा अवश्य आता है कि जब अच्छाई कि विजय होती है । अच्छे कर्म करने वाला और सत्मार्ग पर चलने वाला मनुष्य शायद सुखी ना लगे परंतु वह आनंद की स्थिति में होता है ।

जन्माष्टमी अपने आप कर्मफल के बारे में बताती है भगवान राम ने बलि छुप करके बाण मारकर वध किया था और राम भगवान अपने दहत्याग के उपरांत वैकुण्ठ लोक में आये तो कुछ समय के बाद उन्हें यह ध्यान आया की उन्हें अपने इस कर्म का फल नहीं मिला तब ही अगले अवतार जो की भगवान कृष्ण का अवतार था श्री कृष्ण जी अंतिम समय में एक शिकारी के द्वारा चलाये हुए बाण से उनका देहांत हुआ है और वह शिकारी बाली ही थे जो की अगले जन्म में आये थे ।

Honeymoon: जब हनीमून समाप्त हो जाता है तो इसके बाद क्या

Honeymoon: जब हनीमून (मधुमास, सुहाग रात) का जादू क्षीण हो जाता है तो हमारे क्या विकल्प होते हैं ? हम आग को पुनः प्रज्वलित कर सकते हैं, हम कोई नया साथी खोज सकते हैं और दूसरा हनीमून मना सकते हैं, या हम ऊर्जा को कुछ ज्यादा ताजगी से और ज्यादा गहरायी के साथ रूपान्तरित कर सकते हैं । प्रेम एक गुलाब का फूल है । सुबह यह हवा में, धूप में झूमता रहता है और लगता है कि इसी मस्ती के साथ, ऐसी ही निश्चितता के साथ, इसी अधिकार के साथ यह सदैव बना रहेगा ।

यह इतना कोमल और फिर भी इतना मजबूत होता है कि हवा बहे, वर्षा हो, धूप हो, उसमें भी खिला रहता है, लेकिन सायंकाल तक इसकी पङ्खुड़ियाँ बिखर जाती हैं और गुलाब समाप्त हो जाता है । इसका मतलब यह नहीं है कि यह एक भ्रान्ति थी । इसका साधारण सा मतलब यही है कि जीवन में हर वस्तु बदलती रहती है । और परिवर्तन हर चीज को नया और ताजा कर देता है । जिस दिन विवाह समाप्त हो जाएगा पुरुष और स्त्री का जीवन स्वस्थ हो जाएगा, निश्चित रूप से हमारी कल्पना से भी अधिक लम्बा रहेगा । विवाह जीवन की बदलती हुई प्रकृति के विरोध में है, यह स्थायी का सृजन करता है ।

पति और पत्नी दोनों सुस्त और ऊबे हुए रहते हैं — जीवन में रस खो जाता है । निश्चित ही उन्हें अपना रस नष्ट करना ही होता है अन्यथा विवाद निरन्तर बना रहता है । पति किसी दूसरी औरत में कोई रुचि नहीं ले सकता, पत्नी दूसरे पुरुष के साथ नहीं हँस सकती । वे एक-दूसरे के कैदी हो जाते हैं । जीवन बोझ बन जाता है और यह एक दिनचर्या बन जाती है । ऐसा जीवन कौन जीना चाहता है ? जीने की इच्छा क्षीण हो जाती है । इससे रुग्णता और बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं क्योंकि मृत्यु के प्रति उनकी कोई प्रतिरोधिता नहीं होती ।

वास्तव में वे यह सोचने लगते हैं के इस सारे कुचक्र को शीघ्र ही जैसे भी हो समाप्त किया जाए । भीतर ही भीतर वे मृत्यु की इच्छा करने लगते हैं । उनकी मरने की इच्छा जाग्रत हो जाती है । सिगमण्ड फ्रायड पहला व्यक्ति था जिसने यह पता लगाया कि मनुष्य के अचेतन मन में मृत्यु की इच्छा विद्यमान होती है। किन्तु फ्रायड के साथ मैं सहमत नहीं हूँ । मृत्यु की यह इच्छा कोई सहज प्रवृत्ति नहीं है ।

यह विवाह की देन है, यह एक उबाऊ जीवन की देन है । जब व्यक्ति यह अनुभव करने लगता है कि जीने में अब कोई रोमाञ्च नहीं है । कोई नयी जगह, कोई नया ठिकाना नहीं मिलता, तो अनावश्यक रूप से जीते रहने का क्या लाभ है ? तब तो क़ब्र में शाश्वत नीन्द ही ज्यादा आरामदायक लगती है, जो ज्यादा सुविधाजनक और कहीं ज्यादा आनन्ददायक होती है । किसी भी पशु में मृत्यु की इच्छा विद्यमान नहीं होती ।

जङ्गल में कोई भी पशु आत्महत्या नहीं करता । किन्तु आश्चर्य यह है कि चिड़ियाघर में पशु भी आत्महत्या करते हुए पाये गये । और विवाह प्रत्येक व्यक्ति को चिड़ियाघर का एक पशु बना देता है — परिष्कृत, हजारों सूक्ष्म तरीकों से जंजीरों में जकड़ा हुआ होता है । सिगमण्ड फ्रायड को जङ्गली जानवरों या असभ्य मनुष्यों का पता नहीं था । मैं चाहता हूँ कि मनुष्य में कुछ जङ्गलीपन शेष रहे । यह मेरा विद्रोह है ।

उसे चिड़ियाघर का हिस्सा नहीं बनना है, वह तो स्वाभाविक ही बना रहेगा । वह जीवन के विरोध में नहीं जाएगा, वह तो जीवन के साथ बहेगा । यदि पुरुष और स्त्री समझौता कर सकते हैं कि हमें चिडियाघर का हिस्सा नहीं बनना है, जो बिलकुल भी कठिन नहीं है, जो सबसे सरल है, तो हमें चिड़ियाघर से मुक्ति मिल सकती है ।

इसी बात की जरूरत है — विवाह से मुक्ति । यदि स्त्री अपने स्वाभाविक जङ्गलीपन में बड़ी होती है और पुरुष अपने सहज जङ्गलीपन में बड़ा होता है, और अजनबी की तरह वे मैत्री भाव से मिलते हैं, तो उनके प्रेम में असीम गहरायी होगी, अत्याधिक आनन्द और सुखद नृत्य होगा ।

इसमें कोई करार नहीं होता, इसमें कोई कानून नहीं होता — प्रेम स्वयं में एक कानून है — और जब प्रेम समाप्त हो जाता है वे एक-दूसरे को कृतज्ञता के साथ अलविदा कहेंगे, जो सुन्दर क्षण उन्होंने एक साथ व्यतीत किये हैं, वे गीत जो उन्होंने एक साथ गाये हैं, वे नृत्य जो उन्होंने पूर्णिमा के दिन किया था, समुद्र तट पर उन सङ्गीतमय क्षणों के लिए कृतज्ञता के साथ ।

वे उद्यान की उन मधुर स्मृतियों को अपने साथ सँजोए हुए रखेंगे, और वे हमेशा-हमेशा के लिए कृतज्ञ रहेंगे । किन्तु वे एक-दूसरे की स्वतन्त्रता में बाधक नहीं बनेंगे, उनका प्रेम इसे रोकता है । उनके प्रेम को अधिक स्वतन्त्रता दी जानी चाहिए । अतीत में यह अधिक से अधिक दासता देता आया है ।

People wandering in search of true love: सच्चे प्यार की तलाश में भटक रहे लोग ध्यान दें

People wandering in search of true love: सच कहूं तो, ब्लैकमेलिंग और बदनामी के डर से कई पुरूष और स्त्री भी चाहकर भी किसी पर भरोसा नहीं कर पाते है… ज्यादा नजदीकियां बढ़ जाने के बाद यदि साथी गलत मिल गया तो शुरू ब्लैकमेलिंग, पुरूष फंसा तो धन जाता है और स्त्री फंस गई किसी सनकी के चक्कर में तो फिर ईज्जत और जान तक चली जाती है… समाज में बदनामी होगी, अलग से!

ऐसे रिश्ते की शुरुआत में तो स्त्री हो या पुरुष, दोनों ही बड़ा कायदे से पेश आते हैं और अच्छे व्यवहार करते हैं,,, मगर बहुत से लोग बाद में अपना रंग दिखाते हैं। बहुत सी महिलाएं भी आपकी तरह एकाकी जीवन जी रहीं हैं और किसी ऐसे मित्र की तलाश में भी रहती है जो सिर्फ सुख में ही नहीं बल्कि दुख में भी साथ निभाए। … एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करने वाले ऐसे लोग संयोग से ही मिलते हैं…

जो समाज में एक दूसरे की इज्जत और मर्यादाओं का भी ख्याल रखते हैं… मिल ही जाते हैं वो ह्दय, जो छल और कपट से रहित हो.. मिलते हैं ऐसे लोग तो सिर्फ साहब नीयत और संयोग से..! ध्यान रहे… अपरिचितों के मैसेंजर पर मंडराने वाले ही साईबर क्राइम का शिकार भी बनते हैं.

Janmashtami 2024: सनातन धर्म में जन्माष्टमी पर्व का विशेष महत्व है।

Janmashtami 2024: इस तरह से मुरलीज़ार के आशीर्वाद को अपने जीवन में स्वीकार करें। तुम्हारा दुख चमक उठेगा. हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार 26 अगस्त (Janmashtami 2024) को जन्माष्टमी है। कृष्ण भक्तों में जन्माष्टमी को लेकर अधिक उत्साह है. खैर, इस लेख में हम आपको बताएंगे कि लड्डू गोपाल (Laddu Gopal)  को कैसे खुश किया जाए।

श्रीकृष्ण स्तुति का मार्ग: सनातन धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार का विशेष महत्व है। इस खास अवसर पर लड्डू गोपाल (Laddu Gopal)  की विशेष पूजा की जाती है। व्रत भी रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से साधक को मुरलीजर का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसकी सुख-समृद्धि में योगदान होता है। कृष्ण की स्तुति के बिना जन्माष्टमी की पूजा अधूरी मानी जाती है। यदि आप इसका पाठ करेंगे तो आप अपने कार्य में सफल होंगे। कृष्ण स्तुति का पाठ करें.

कृष्ण कृष्ण शृणुष्वेदं यदर्थमहमागतः।
त्वत्समीपं महाबाहो नैतच्चिन्त्यं त्वयान्यथा॥

भारावतरणार्थाय पृथिव्याः पृथिवीतले।
अवतीर्णॊऽखिलाधार त्वमेव परमेश्वर ॥

मखभंगविरोधेन मया गोकुलनाशकाः।
समादिष्टा महामेघास्तैश्चेदं कदनं कृतम्॥

त्रातास्ताश्च त्वया गावस्समुत्पाट्य महीधरम्।
तेनाहं तोषितो वीरकर्मणात्यद्भुतेन ते ॥

साधितं कृष्ण देवानामहं मन्ये प्रयोजनम्।
त्वयायमद्रिप्रवरः करेणैकेन यद्धृतः॥

गोभिश्च चोदितः कृष्ण त्वत्सकाशमिहागतः।
त्वया त्राताभिरत्यर्थं युष्मत्सत्कारकारणात् ॥

स त्वां कृष्णाभिषेक्ष्यामि गवां वाक्यप्रचोदितः।
उपेन्द्रत्वे गवामिन्द्रो गोविन्दस्त्वं भविष्यसि ॥

अथोपवाह्यादादाय घण्टामैरावताद्गजात्।
अभिषेकं तया चक्रे पवित्रजलपूर्णया ॥

क्रियमाणेऽभिषेके तु गावः कृष्णस्य तत्क्षणात्।
प्रस्रवोद्भूतदुग्धार्द्रां सद्यश्चक्रुर्वसुन्धराम् ॥

अभिषिच्य गवां वाक्यादुपेन्द्रं वै जनार्दनम्।
प्रीत्या सप्रश्रयं वाक्यं पुनराह शचीपतिः ॥

गवामेतत्कृतं वाक्यं तथान्यदपि मे शृणु।
यद्ब्रवीमि महाभाग भारावतरणेच्छया ॥

ममांशः पुरुषव्याघ्र पृथिव्यां पृथिवीधरः।
अवतीर्योऽर्जुनो नाम संरक्ष्यो भवता सदा ॥

भारावतरणे साह्यं स ते वीरः करिषयति।
संरक्षणीयो भवता यथात्मा मधुसूदन ॥

कृष्ण कृष्ण शृणुष्वेदं यदर्थमहमागतः।
त्वत्समीपं महाबाहो नैतच्चिन्त्यं त्वयान्यथा॥
Janmashtami 2024

नमामीश्वरं सच्चिदानंदरूपं
लसत्कुण्डलं गोकुले भ्राजमानं
यशोदाभियोलूखलाद्धावमानं
परामृष्टमत्यं ततो द्रुत्य गोप्या ॥

रुदन्तं मुहुर्नेत्रयुग्मं मृजन्तम्
कराम्भोज-युग्मेन सातङ्क-नेत्रम्
मुहुः श्वास-कम्प-त्रिरेखाङ्क-कण्ठ
स्थित-ग्रैवं दामोदरं भक्ति-बद्धम् ॥

इतीदृक् स्वलीलाभिरानंद कुण्डे
स्व-घोषं निमज्जन्तम् आख्यापयन्तम्
तदीयेशितज्ञेषु भक्तिर्जितत्वम
पुनः प्रेमतस्तं शतावृत्ति वन्दे ॥

वरं देव! मोक्षं न मोक्षावधिं वा
न चान्यं वृणेऽहं वरेशादपीह
इदं ते वपुर्नाथ गोपाल बालं
सदा मे मनस्याविरास्तां किमन्यैः ॥

इदं ते मुखाम्भोजम् अत्यन्त-नीलैः
वृतं कुन्तलैः स्निग्ध-रक्तैश्च गोप्या
मुहुश्चुम्बितं बिम्बरक्ताधरं मे
मनस्याविरास्तामलं लक्षलाभैः ॥

नमो देव दामोदरानन्त विष्णो
प्रसीद प्रभो दुःख-जालाब्धि-मग्नम्
कृपा-दृष्टि-वृष्ट्याति-दीनं बतानु
गृहाणेष मामज्ञमेध्यक्षिदृश्यः ॥
Janmashtami 2024

Live-in relationship: आजकल का लिव-इन रिलेशनशिप

Live-in relationship:बिना विवाह के शारीरिक और भावनात्मक सुख पाने का एक सामान्य विकल्प बनता जा रहा है। यह उन लोगों के लिए आकर्षक हो सकता है जो एक-दूसरे के साथ समय बिताना चाहते हैं और शारीरिक संतुष्टि की आवश्यकता को पूरा करना चाहते हैं। हालांकि, इस संबंध को सही तरीके से समझना और अपनाना बेहद जरूरी है, वरना यह कई समस्याओं का कारण बन सकता है।

लिव-इन रिलेशनशिप में शामिल लोग एक-दूसरे की शारीरिक और आर्थिक जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करते हैं। लेकिन अगर इसे केवल शारीरिक भूख और आर्थिक फायदे के लिए अपनाया जाता है, तो यह संबंध टिकाऊ नहीं हो सकता और असफलता की ओर बढ़ सकता है। अगर कोई महिला 40 साल की उम्र के बाद इस प्रकार के संबंध में प्रवेश करती है, तो उसे विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए। इस उम्र में स्थायित्व और सुरक्षा की जरूरत बढ़ जाती है, और अस्थायी संबंध में जाना मानसिक और भावनात्मक कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है।

हमारे समाज में पारंपरिक विवाह संबंधों में भी चुनौतियाँ होती हैं, जैसे कि माता-पिता, रिश्तेदारों और समाज का दबाव। लिव-इन रिलेशनशिप में इस प्रकार का कोई सामाजिक समर्थन नहीं होता, जिससे यह और भी जोखिम भरा हो सकता है। बड़े शहरों में लिव-इन रिलेशनशिप का चलन बढ़ता जा रहा है। कुछ लोग इसे अपने शौक के लिए अपनाते हैं, जबकि कुछ मामलों में यह फैशन का हिस्सा भी बन गया है।

लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि इन संबंधों की स्थिरता और सुरक्षा के बारे में सोचा जाए। यदि कोई वृद्ध व्यक्ति किसी युवा के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह संबंध सच्चे प्रेम और सहयोग पर आधारित हो, न कि केवल आर्थिक लाभ पर।

लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

१. **भरोसा और पारदर्शिता:** दोनों पक्षों के बीच विश्वास और पारदर्शिता होनी चाहिए।

२. **आर्थिक समझौते:** आर्थिक मामलों में स्पष्टता जरूरी है, ताकि किसी प्रकार की धोखाधड़ी से बचा जा सके। ३. **कानूनी सुरक्षा:**

कानूनी दस्तावेजों और समझौतों की जांच करवा लें, ताकि किसी भी विवाद से बचा जा सके। इस प्रकार, लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश करते समय सतर्क रहना और सभी संभावित खतरों को ध्यान में रखना आवश्यक है।

पुरुष को समझना इतना भी सरल नहीं जितना समझ लिया जाता है

किसी इंसान को समझना इतना आसान नहीं है. दिल के आखिरी कोने में, बहुत सारी भावनाएँ, कल्पनाएँ, भावनाएँ और अभिव्यक्तियाँ छिपी होती हैं, जिन तक पहुँचना एक साधारण गोताखोर के लिए इतना आसान नहीं है… दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि हमने इस पर काबू पा लिया है, लेकिन अगर आप ध्यान से देखें तो ऐसा लगता है कि हम वहीं वापस आ गए हैं जहां से हमने शुरू किया था।

उन्हें समझने के लिए, आपको उनकी भावनाओं को स्वीकार करने की ज़रूरत है, आपको उनकी आत्मा को छूने की ज़रूरत है, आपको उनके परेशान मन से निपटने की ज़रूरत है, आपको उनकी सभी चिंताओं से निपटने की ज़रूरत है जिसमें उन्होंने अपना पूरा जीवन बिताया है, आपको उन सभी से निपटने की ज़रूरत है उनकी चिंताएँ, जिनमें उन्होंने अपना पूरा जीवन बिताया है। उनकी बात सुनने के लिए आपको हार मानने की जरूरत है और बस एक मां की तरह बहते आंसुओं को पोंछना होगा, क्योंकि एक आदमी के लिए अपने अनुभवों और समस्याओं को किसी के साथ साझा करना अपने आंसुओं को रोकने से ज्यादा मुश्किल है, और अगर एक आदमी रुक जाता है, तब वह तटस्थ हो जाता है। उसकी पत्नी के लिए

UP Constable Exam 2024: उत्तर प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के बारे में ताजा समाचार, एडमिट कार्ड डाउनलोड;

UP Constable Exam 2024: उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड जारी कर दिया है। अभ्यर्थी प्रवेश पत्र बोर्ड की वेबसाइट से प्राप्त कर सकते हैं।

ताजा जानकारी उत्तर प्रदेश में पुलिस भर्ती परीक्षा को लेकर है। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति विभाग ने एडमिट कार्ड जारी कर दिए हैं। बोर्ड नोटिफिकेशन के मुताबिक, अभ्यर्थी बोर्ड की वेबसाइट uppbpb.gov.in पर जा सकते हैं। प्रवेश टिकट यहां से डाउनलोड किया जा सकता है।

प्रवेश पत्र में परीक्षा की तारीख और समय, पंजीकरण समय और परीक्षा केंद्र का विवरण दर्शाया गया है। परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने के लिए उम्मीदवारों को एडमिट कार्ड के साथ अपना फोटो और आईडी लाना होगा। अभ्यर्थी परीक्षा तिथि से तीन दिन पहले पुलिस भर्ती आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित लिंक से प्रवेश पत्र डाउनलोड कर सकते हैं।

बोर्ड के अध्यक्ष डी.जी. राजीव कृष्ण ने कहा कि लिखित परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र विभिन्न तिथियों पर बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे। अन्य परीक्षा तिथियों के लिए प्रवेश पत्र निर्धारित परीक्षा तिथि के लिए प्रवेश पत्र जारी होने की नियत तिथि तक अपलोड नहीं किए जाएंगे।

आयोग उम्मीदवारों से अपेक्षा करता है कि वे अपना प्रवेश पत्र केवल परीक्षा तिथि के आधार पर जारी होने वाले दिन ही डाउनलोड करें ताकि कोई असुविधा न हो।
हम आपको सूचित करना चाहेंगे कि बोर्ड ने आज, 23 अगस्त को होने वाली परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड अपलोड कर दिया है। इसी तरह 24 अगस्त की परीक्षा के लिए 21 अगस्त को, 25 अगस्त की परीक्षा के लिए 22 अगस्त को, 30 अगस्त की परीक्षा के लिए 27 अगस्त को और 31 अगस्त की परीक्षा के लिए 28 अगस्त को एडमिट कार्ड जारी किए जाएंगे।

Terrorist Attack: जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में सीआरपीएफ टीम पर हमला, एक इंस्पेक्टर की मौत

खबर है कि इस हमले में एक इंस्पेक्टर की मौत हो गई. सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है. अब दोनों तरफ से गोलीबारी हो रही है.

Terrorist Attackजम्मू-कश्मीर के उधमपुर में सोमवार को आतंकियों ने सीआरपीएफ टीम पर हमला कर दिया. इस हमले में कथित तौर पर एक इंस्पेक्टर की मौत हो गई. सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है. अब दोनों तरफ से आग लग गई है.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उधमपुर के रामनगर के चेर इलाके में सीआरपीएफ की नियमित गश्त के दौरान आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में एक सीआरपीएफ इंस्पेक्टर की मौत हो गई। शहीद की पहचान कुलदीप के रूप में हुई.

आतंकवादियों को साइट पर मदद मिलती है

16 अगस्त की सुबह उधमपुर के बसेंग्रे इलाके में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच झड़प हुई। हालांकि, खराब मौसम और कोहरे का फायदा उठाकर आतंकवादी भागने में सफल रहे। माना जा रहा है कि कुछ आतंकी समूह पिछले कुछ महीनों से उधमपुर के बेसनपुर के ऊपर जंगलों में छिपे हुए हैं। लोग हर समय संदिग्ध देखे जाने की रिपोर्ट करते हैं। किसी मार्गदर्शक या सहायक के बिना लंबे समय तक छिपना असंभव है। सूत्रों की मानें तो ये आतंकी स्थानीय लोगों के घरों में पनाह लिए हुए हैं. आज, कई गुज्जर बकरवाल शिविर जंगलों और पहाड़ों में स्थित हैं। आतंकियों को धमकी देकर खाना मिलता है. अप्रैल से ही सुरक्षा बलों को इलाके में आतंकी गतिविधि के संकेत मिलते रहे हैं.

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