Red Rose Public School: रेड रोज पब्लिक स्कूल लखनऊ के वार्षिकोत्सव ‘मिराकी’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ

Red Rose Public School: रेड रोज पब्लिक स्कूल, विष्णुलोक कालोनी, लखनऊ के वार्षिकोत्सव ‘मिराकी’ कार्यक्रम का शुभारम्भ स्कूल प्रांगण में दिनाँक 25.10.2024 को मुख्य अतिथि माननीय मुख्य अतिथि श्री राजेश्वर सिंह जी, मा0 विधायक, सरोजनी नगर, लखनऊ, उ0प्र0 एवं विशिष्ट अतिथि श्री रामेश्वर सिंह जी, सदस्य (प्रशासनिक), उ0प्र0 रेरा, लखनऊ की उपस्थिति में पारम्परिक दीप प्रज्ज्वलित करके किया। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के स्वागत हेतु स्कूल के संस्थापक प्रबंधक श्री आर0 सी0 मिश्र, अध्यक्षा श्रीमती स्मिता मिश्रा, प्रबंध निदेशक श्री प्रशान्त कुमार मिश्र एवं सी0ए0ओ0, श्रीमती अनुपमा शुक्ला मंच पर उपस्थित थे।


कार्यक्रम के प्रारम्भ में विद्यालय की सी0ए0ओ0, श्रीमती अनुपमा शुक्ला ने माननीय मुख्य अतिथि का कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने हेतु आभार व्यक्त किया। उन्होने संक्षेप में स्कूल की प्रगति पर प्रकाश डाला तथा शिक्षा के प्रचार प्रसार में स्कूल के सस्ंथापक प्रबन्धक श्री आर0 सी0 मिश्र के प्रयासों में सभी के सहयोग की अपेक्षा की। 

सी0ए0ओ0, श्रीमती अनुपमा शुक्ला ने अपने स्वागत भाषण में मुख्य अतिथि के अलावा अन्य सभी उपस्थित अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपने व्यस्ततम समय में से कुछ समय निकाल कर अपनी सहृदयता का परिचय दिया है इसके लिए स्कूल प्रबन्ध मण्डल तथा स्कूल की छात्र/छात्रायें हृदय से उनके आभारी है।

Red Rose Public School Lucknow's annual function 'Miraaki' was organized
Red Rose Public School Lucknow’s annual function ‘Miraaki’ was organized

मुख्य अतिथि महोदय ने अपने सम्बोधन मे कहा कि विद्यार्थी राष्ट्र की समृद्धि व आत्म निर्भरता के निर्धारण के आधार है। इसलिए उन्हे राष्ट्र का भविष्य कहा जाता है। स्कूल द्वारा वार्षिकोत्सव कार्यक्रमों के आयोजन से बच्चों में अनुशासन, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, टीम भावना व भाईचारा की भावना का विकास होता है। साथ ही ऐसे आयोजन स्कूल की प्रगति, उसके विद्यार्थियों व शिक्षकों के प्रयासों की एक अमिट छाप छोड़ते है। 

मुख्य अतिथि महोदय ने स्कूल के संस्थापक प्रबन्ध निदेशक डा0 प्रशान्त कुमार मिश्रा द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की साथ ही उन्होंने उपस्थित अभिभावको तथा गण्यमान्य अतिथियों से अपेक्षा की कि वे छात्र/छात्राओं का भविष्य उज्जवल बनाने के प्रति सदैव जागरूक रहें।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि महोदय ने मेधावी छात्र/छात्राओं के अभिभावकों को स्मृति चिन्ह् प्रदान कर सम्मानित किया।    
 

1.  कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा 2024 में 90प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले 11 छात्र/छात्राएं ।   
2.  कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा 2024 में 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले 11 छात्र/छात्राएं।   
3.  वर्ष 2023-24 के पूरे वर्ष में उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वाले कक्षा प्री नर्सरी से कक्षा 9 एवं कक्षा 11 तक के 13 छात्र/छात्राएं।   
 

तदोपरान्त छात्र, छात्राओं द्वारा ‘मिराकी’ पर आधारित मनमोहक रंगारंग कार्यक्रम (सूची संलग्न) प्रस्तुत किया गया। इन कार्यक्रमों ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया। बच्चों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रमों मंे से मुख्यतः – नन्हें मुन्ने बच्चों द्वारा प्रस्तुत ‘ईश वन्दना’, ‘हील द वर्ल्ड‘ और ‘कठपुतली नृत्य’ कार्यक्रम तथा सीनियर कक्षाओं के छात्र छात्रओे द्वारा प्रस्तुत ‘भारत के शूरवीर’ तथा भक्ति से ओत-प्रोत ‘दशावतार’ कार्यक्रम विषेश सारहनीय एवं मनमोहक रहे।  

Samantha Ruth Prabhu ने यौन शोषण पर पोस्ट शेयर किया और तेलंगाना सरकार से खास अपील की.

Samantha Ruth Prabhu: हेमा कमेटी की रिपोर्ट के खुलासे ने सभी को चौंका दिया. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामलों का खुलासा कर दक्षिणी क्षेत्र की कई अभिनेत्रियां सुर्खियों में आ चुकी हैं। अब इस मामले में सामंथा रुथ प्रभु शामिल हो गई हैं। उन्होंने इसकी शिकायत शासन से की।

अभिनेत्रियों के यौन शोषण के खुलासे ने सभी को चौंका दिया। खेम कमेटी की रिपोर्ट में शुरुआती खुलासे के बाद से कई अभिनेत्रियां दुर्व्यवहार की घटनाओं के साथ सामने आई हैं। बहुत ही कम समय में यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई.

इस रिपोर्ट में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न, शोषण और दुर्व्यवहार के कई चौंकाने वाले मामले सामने आए। कुछ ने फिल्म सेट पर बुरा व्यवहार किया, जबकि कुछ को उनके करियर की शुरुआत में फिल्मों में आने का लालच दिया गया। यहां तक ​​कहा जाता है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री पर 10 से 15 पुरुष निर्माताओं, निर्देशकों और अभिनेताओं का नियंत्रण है। अब इसे लेकर सामंथा रुथ प्रभु ने बयान दिया है.

Honeymoon: जब हनीमून समाप्त हो जाता है तो इसके बाद क्या

Honeymoon: जब हनीमून (मधुमास, सुहाग रात) का जादू क्षीण हो जाता है तो हमारे क्या विकल्प होते हैं ? हम आग को पुनः प्रज्वलित कर सकते हैं, हम कोई नया साथी खोज सकते हैं और दूसरा हनीमून मना सकते हैं, या हम ऊर्जा को कुछ ज्यादा ताजगी से और ज्यादा गहरायी के साथ रूपान्तरित कर सकते हैं । प्रेम एक गुलाब का फूल है । सुबह यह हवा में, धूप में झूमता रहता है और लगता है कि इसी मस्ती के साथ, ऐसी ही निश्चितता के साथ, इसी अधिकार के साथ यह सदैव बना रहेगा ।

यह इतना कोमल और फिर भी इतना मजबूत होता है कि हवा बहे, वर्षा हो, धूप हो, उसमें भी खिला रहता है, लेकिन सायंकाल तक इसकी पङ्खुड़ियाँ बिखर जाती हैं और गुलाब समाप्त हो जाता है । इसका मतलब यह नहीं है कि यह एक भ्रान्ति थी । इसका साधारण सा मतलब यही है कि जीवन में हर वस्तु बदलती रहती है । और परिवर्तन हर चीज को नया और ताजा कर देता है । जिस दिन विवाह समाप्त हो जाएगा पुरुष और स्त्री का जीवन स्वस्थ हो जाएगा, निश्चित रूप से हमारी कल्पना से भी अधिक लम्बा रहेगा । विवाह जीवन की बदलती हुई प्रकृति के विरोध में है, यह स्थायी का सृजन करता है ।

पति और पत्नी दोनों सुस्त और ऊबे हुए रहते हैं — जीवन में रस खो जाता है । निश्चित ही उन्हें अपना रस नष्ट करना ही होता है अन्यथा विवाद निरन्तर बना रहता है । पति किसी दूसरी औरत में कोई रुचि नहीं ले सकता, पत्नी दूसरे पुरुष के साथ नहीं हँस सकती । वे एक-दूसरे के कैदी हो जाते हैं । जीवन बोझ बन जाता है और यह एक दिनचर्या बन जाती है । ऐसा जीवन कौन जीना चाहता है ? जीने की इच्छा क्षीण हो जाती है । इससे रुग्णता और बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं क्योंकि मृत्यु के प्रति उनकी कोई प्रतिरोधिता नहीं होती ।

वास्तव में वे यह सोचने लगते हैं के इस सारे कुचक्र को शीघ्र ही जैसे भी हो समाप्त किया जाए । भीतर ही भीतर वे मृत्यु की इच्छा करने लगते हैं । उनकी मरने की इच्छा जाग्रत हो जाती है । सिगमण्ड फ्रायड पहला व्यक्ति था जिसने यह पता लगाया कि मनुष्य के अचेतन मन में मृत्यु की इच्छा विद्यमान होती है। किन्तु फ्रायड के साथ मैं सहमत नहीं हूँ । मृत्यु की यह इच्छा कोई सहज प्रवृत्ति नहीं है ।

यह विवाह की देन है, यह एक उबाऊ जीवन की देन है । जब व्यक्ति यह अनुभव करने लगता है कि जीने में अब कोई रोमाञ्च नहीं है । कोई नयी जगह, कोई नया ठिकाना नहीं मिलता, तो अनावश्यक रूप से जीते रहने का क्या लाभ है ? तब तो क़ब्र में शाश्वत नीन्द ही ज्यादा आरामदायक लगती है, जो ज्यादा सुविधाजनक और कहीं ज्यादा आनन्ददायक होती है । किसी भी पशु में मृत्यु की इच्छा विद्यमान नहीं होती ।

जङ्गल में कोई भी पशु आत्महत्या नहीं करता । किन्तु आश्चर्य यह है कि चिड़ियाघर में पशु भी आत्महत्या करते हुए पाये गये । और विवाह प्रत्येक व्यक्ति को चिड़ियाघर का एक पशु बना देता है — परिष्कृत, हजारों सूक्ष्म तरीकों से जंजीरों में जकड़ा हुआ होता है । सिगमण्ड फ्रायड को जङ्गली जानवरों या असभ्य मनुष्यों का पता नहीं था । मैं चाहता हूँ कि मनुष्य में कुछ जङ्गलीपन शेष रहे । यह मेरा विद्रोह है ।

उसे चिड़ियाघर का हिस्सा नहीं बनना है, वह तो स्वाभाविक ही बना रहेगा । वह जीवन के विरोध में नहीं जाएगा, वह तो जीवन के साथ बहेगा । यदि पुरुष और स्त्री समझौता कर सकते हैं कि हमें चिडियाघर का हिस्सा नहीं बनना है, जो बिलकुल भी कठिन नहीं है, जो सबसे सरल है, तो हमें चिड़ियाघर से मुक्ति मिल सकती है ।

इसी बात की जरूरत है — विवाह से मुक्ति । यदि स्त्री अपने स्वाभाविक जङ्गलीपन में बड़ी होती है और पुरुष अपने सहज जङ्गलीपन में बड़ा होता है, और अजनबी की तरह वे मैत्री भाव से मिलते हैं, तो उनके प्रेम में असीम गहरायी होगी, अत्याधिक आनन्द और सुखद नृत्य होगा ।

इसमें कोई करार नहीं होता, इसमें कोई कानून नहीं होता — प्रेम स्वयं में एक कानून है — और जब प्रेम समाप्त हो जाता है वे एक-दूसरे को कृतज्ञता के साथ अलविदा कहेंगे, जो सुन्दर क्षण उन्होंने एक साथ व्यतीत किये हैं, वे गीत जो उन्होंने एक साथ गाये हैं, वे नृत्य जो उन्होंने पूर्णिमा के दिन किया था, समुद्र तट पर उन सङ्गीतमय क्षणों के लिए कृतज्ञता के साथ ।

वे उद्यान की उन मधुर स्मृतियों को अपने साथ सँजोए हुए रखेंगे, और वे हमेशा-हमेशा के लिए कृतज्ञ रहेंगे । किन्तु वे एक-दूसरे की स्वतन्त्रता में बाधक नहीं बनेंगे, उनका प्रेम इसे रोकता है । उनके प्रेम को अधिक स्वतन्त्रता दी जानी चाहिए । अतीत में यह अधिक से अधिक दासता देता आया है ।

People wandering in search of true love: सच्चे प्यार की तलाश में भटक रहे लोग ध्यान दें

People wandering in search of true love: सच कहूं तो, ब्लैकमेलिंग और बदनामी के डर से कई पुरूष और स्त्री भी चाहकर भी किसी पर भरोसा नहीं कर पाते है… ज्यादा नजदीकियां बढ़ जाने के बाद यदि साथी गलत मिल गया तो शुरू ब्लैकमेलिंग, पुरूष फंसा तो धन जाता है और स्त्री फंस गई किसी सनकी के चक्कर में तो फिर ईज्जत और जान तक चली जाती है… समाज में बदनामी होगी, अलग से!

ऐसे रिश्ते की शुरुआत में तो स्त्री हो या पुरुष, दोनों ही बड़ा कायदे से पेश आते हैं और अच्छे व्यवहार करते हैं,,, मगर बहुत से लोग बाद में अपना रंग दिखाते हैं। बहुत सी महिलाएं भी आपकी तरह एकाकी जीवन जी रहीं हैं और किसी ऐसे मित्र की तलाश में भी रहती है जो सिर्फ सुख में ही नहीं बल्कि दुख में भी साथ निभाए। … एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करने वाले ऐसे लोग संयोग से ही मिलते हैं…

जो समाज में एक दूसरे की इज्जत और मर्यादाओं का भी ख्याल रखते हैं… मिल ही जाते हैं वो ह्दय, जो छल और कपट से रहित हो.. मिलते हैं ऐसे लोग तो सिर्फ साहब नीयत और संयोग से..! ध्यान रहे… अपरिचितों के मैसेंजर पर मंडराने वाले ही साईबर क्राइम का शिकार भी बनते हैं.

Live-in relationship: आजकल का लिव-इन रिलेशनशिप

Live-in relationship:बिना विवाह के शारीरिक और भावनात्मक सुख पाने का एक सामान्य विकल्प बनता जा रहा है। यह उन लोगों के लिए आकर्षक हो सकता है जो एक-दूसरे के साथ समय बिताना चाहते हैं और शारीरिक संतुष्टि की आवश्यकता को पूरा करना चाहते हैं। हालांकि, इस संबंध को सही तरीके से समझना और अपनाना बेहद जरूरी है, वरना यह कई समस्याओं का कारण बन सकता है।

लिव-इन रिलेशनशिप में शामिल लोग एक-दूसरे की शारीरिक और आर्थिक जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करते हैं। लेकिन अगर इसे केवल शारीरिक भूख और आर्थिक फायदे के लिए अपनाया जाता है, तो यह संबंध टिकाऊ नहीं हो सकता और असफलता की ओर बढ़ सकता है। अगर कोई महिला 40 साल की उम्र के बाद इस प्रकार के संबंध में प्रवेश करती है, तो उसे विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए। इस उम्र में स्थायित्व और सुरक्षा की जरूरत बढ़ जाती है, और अस्थायी संबंध में जाना मानसिक और भावनात्मक कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है।

हमारे समाज में पारंपरिक विवाह संबंधों में भी चुनौतियाँ होती हैं, जैसे कि माता-पिता, रिश्तेदारों और समाज का दबाव। लिव-इन रिलेशनशिप में इस प्रकार का कोई सामाजिक समर्थन नहीं होता, जिससे यह और भी जोखिम भरा हो सकता है। बड़े शहरों में लिव-इन रिलेशनशिप का चलन बढ़ता जा रहा है। कुछ लोग इसे अपने शौक के लिए अपनाते हैं, जबकि कुछ मामलों में यह फैशन का हिस्सा भी बन गया है।

लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि इन संबंधों की स्थिरता और सुरक्षा के बारे में सोचा जाए। यदि कोई वृद्ध व्यक्ति किसी युवा के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह संबंध सच्चे प्रेम और सहयोग पर आधारित हो, न कि केवल आर्थिक लाभ पर।

लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

१. **भरोसा और पारदर्शिता:** दोनों पक्षों के बीच विश्वास और पारदर्शिता होनी चाहिए।

२. **आर्थिक समझौते:** आर्थिक मामलों में स्पष्टता जरूरी है, ताकि किसी प्रकार की धोखाधड़ी से बचा जा सके। ३. **कानूनी सुरक्षा:**

कानूनी दस्तावेजों और समझौतों की जांच करवा लें, ताकि किसी भी विवाद से बचा जा सके। इस प्रकार, लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश करते समय सतर्क रहना और सभी संभावित खतरों को ध्यान में रखना आवश्यक है।

पुरुष को समझना इतना भी सरल नहीं जितना समझ लिया जाता है

किसी इंसान को समझना इतना आसान नहीं है. दिल के आखिरी कोने में, बहुत सारी भावनाएँ, कल्पनाएँ, भावनाएँ और अभिव्यक्तियाँ छिपी होती हैं, जिन तक पहुँचना एक साधारण गोताखोर के लिए इतना आसान नहीं है… दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि हमने इस पर काबू पा लिया है, लेकिन अगर आप ध्यान से देखें तो ऐसा लगता है कि हम वहीं वापस आ गए हैं जहां से हमने शुरू किया था।

उन्हें समझने के लिए, आपको उनकी भावनाओं को स्वीकार करने की ज़रूरत है, आपको उनकी आत्मा को छूने की ज़रूरत है, आपको उनके परेशान मन से निपटने की ज़रूरत है, आपको उनकी सभी चिंताओं से निपटने की ज़रूरत है जिसमें उन्होंने अपना पूरा जीवन बिताया है, आपको उन सभी से निपटने की ज़रूरत है उनकी चिंताएँ, जिनमें उन्होंने अपना पूरा जीवन बिताया है। उनकी बात सुनने के लिए आपको हार मानने की जरूरत है और बस एक मां की तरह बहते आंसुओं को पोंछना होगा, क्योंकि एक आदमी के लिए अपने अनुभवों और समस्याओं को किसी के साथ साझा करना अपने आंसुओं को रोकने से ज्यादा मुश्किल है, और अगर एक आदमी रुक जाता है, तब वह तटस्थ हो जाता है। उसकी पत्नी के लिए

Invention of Computer: सर्वप्रथम कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया

परिचय और प्रारंभिक अवधारणाएं

कंप्यूटर का आविष्कार: मानव बुद्धि का एक महान प्रदर्शन

कंप्यूटर का आविष्कार मानव इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। यह एक ऐसी मशीन है जिसने हमारे जीवन के हर पहलू को बदल दिया है – कार्यस्थल से लेकर घर तक, शिक्षा से लेकर मनोरंजन तक। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह अद्भुत मशीन कैसे अस्तित्व में आई? कौन थे वे प्रतिभाशाली मस्तिष्क जिन्होंने इसकी कल्पना की और इसे वास्तविकता में बदल दिया?

कंप्यूटर का आविष्कार एक रात में नहीं हुआ। यह सदियों के विचारों, अवधारणाओं और प्रयोगों का परिणाम था। इसकी जड़ें प्राचीन सभ्यताओं में पाई जा सकती हैं, जहां मनुष्य ने गणना के लिए सरल उपकरणों का उपयोग करना शुरू किया।

प्राचीन गणना उपकरण:

  1. अबैकस: लगभग 2400 ईसा पूर्व में बेबीलोन में विकसित, अबैकस को प्रथम गणना उपकरण माना जाता है। यह मणियों या पत्थरों के साथ एक फ्रेम था जिसका उपयोग बुनियादी अंकगणितीय संचालन के लिए किया जाता था।
  2. एंटीकाइथेरा तंत्र: यूनानियों द्वारा लगभग 100 ईसा पूर्व में निर्मित, यह एक जटिल यांत्रिक कैलकुलेटर था जिसका उपयोग खगोलीय गणना के लिए किया जाता था।
  3. एस्ट्रोलेब: 8वीं शताब्दी में मुस्लिम गणितज्ञों द्वारा विकसित, यह एक उपकरण था जिसका उपयोग समय की गणना और खगोलीय निरीक्षण के लिए किया जाता था।

ये प्रारंभिक उपकरण आधुनिक कंप्यूटर के पूर्वज थे। वे मानव मस्तिष्क की जटिल गणनाओं को सरल करने की इच्छा को दर्शाते हैं।

17वीं और 18वीं शताब्दी: गणना यंत्रों का युग

17वीं और 18वीं शताब्दी में, यूरोप में वैज्ञानिक क्रांति के साथ-साथ गणना यंत्रों में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई। इस अवधि के दौरान कई महत्वपूर्ण आविष्कार हुए:

  1. पास्कलीन: 1642 में, फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने पास्कलीन का आविष्कार किया, जो पहला यांत्रिक कैलकुलेटर था जो जोड़ और घटाव कर सकता था।
  2. लाइबनिज़ व्हील: 1673 में, जर्मन गणितज्ञ गॉटफ्रीड विल्हेल्म लाइबनिज़ ने एक कैलकुलेटर का आविष्कार किया जो चार मूल गणितीय संचालन (जोड़, घटाव, गुणा और भाग) कर सकता था।
  3. जैकार्ड लूम: 1801 में, जोसेफ मैरी जैकार्ड ने एक स्वचालित बुनाई मशीन का आविष्कार किया जो पंच कार्ड का उपयोग करके निर्देश प्राप्त करती थी। यह प्रोग्रामेबल मशीनों की अवधारणा का एक महत्वपूर्ण पूर्वगामी था।

ये आविष्कार आधुनिक कंप्यूटर की ओर महत्वपूर्ण कदम थे। उन्होंने दिखाया कि मशीनें न केवल गणना कर सकती हैं, बल्कि निर्देशों के एक सेट का पालन भी कर सकती हैं।

19वीं शताब्दी: बैबेज का युग

19वीं शताब्दी में, ब्रिटिश गणितज्ञ और आविष्कारक चार्ल्स बैबेज ने दो महत्वपूर्ण मशीनों की कल्पना की जो आधुनिक कंप्यूटर के प्रत्यक्ष पूर्वज माने जाते हैं:

  1. डिफरेंस इंजन: 1822 में, बैबेज ने डिफरेंस इंजन की कल्पना की, जो एक यांत्रिक कैलकुलेटर था जो बहुपद फलनों की गणना कर सकता था। हालांकि यह कभी पूरी तरह से निर्मित नहीं हुआ, इसने स्वचालित गणना की संभावनाओं को प्रदर्शित किया।
  2. एनालिटिकल इंजन: 1837 में, बैबेज ने एनालिटिकल इंजन की कल्पना की, जो वास्तव में पहला सामान्य-प्रयोजन कंप्यूटर था। इसमें इनपुट (पंच कार्ड के माध्यम से), मेमोरी, प्रोसेसर और आउटपुट की अवधारणाएं शामिल थीं – सभी आधुनिक कंप्यूटरों के मूल तत्व।

बैबेज की सहयोगी, एडा लवलेस, को अक्सर पहली कंप्यूटर प्रोग्रामर के रूप में श्रेय दिया जाता है। उन्होंने एनालिटिकल इंजन के लिए एल्गोरिदम लिखे, जिसमें बर्नौली संख्याओं की गणना के लिए एक विशेष रूप से उल्लेखनीय कार्यक्रम शामिल था।

बैबेज और लवलेस के काम ने कंप्यूटर विज्ञान की नींव रखी। उन्होंने दिखाया कि मशीनें न केवल संख्याओं पर काम कर सकती हैं, बल्कि प्रतीकों और अमूर्त अवधारणाओं पर भी काम कर सकती हैं।

20वीं शताब्दी की शुरुआत और विश्व युद्धों का प्रभाव

20वीं शताब्दी की शुरुआत: बूलियन बीजगणित और ट्यूरिंग मशीन

20वीं शताब्दी की शुरुआत में, कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सैद्धांतिक प्रगति हुई:

  1. बूलियन बीजगणित: 19वीं शताब्दी के अंत में जॉर्ज बूल द्वारा विकसित, बूलियन बीजगणित ने तर्क के नियमों को गणितीय रूप दिया। यह बाद में डिजिटल सर्किट डिजाइन और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग का आधार बना।
  2. ट्यूरिंग मशीन: 1936 में, ब्रिटिश गणितज्ञ एलन ट्यूरिंग ने एक सैद्धांतिक मशीन की कल्पना की जो किसी भी गणना को कर सकती थी। ट्यूरिंग मशीन की अवधारणा ने आधुनिक कंप्यूटर के लिए सैद्धांतिक आधार प्रदान किया।

विश्व युद्धों का प्रभाव

दोनों विश्व युद्धों ने कंप्यूटर के विकास को तेज किया:

  1. प्रथम विश्व युद्ध: युद्ध के दौरान, अमेरिकी वैज्ञानिक वानेवर बुश ने डिफरेंशियल एनालाइजर का निर्माण किया, जो एक अनुरूप कंप्यूटर था जो जटिल गणना कर सकता था।
  2. द्वितीय विश्व युद्ध: इस युद्ध ने कंप्यूटर विकास में एक बड़ी छलांग को प्रेरित किया: a) कोलोसस: 1943 में, ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने कोलोसस का निर्माण किया, जो पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर था। इसका उपयोग नाजी संदेशों को डिक्रिप्ट करने के लिए किया गया था। b) ENIAC: 1946 में, अमेरिकी वैज्ञानिकों जे प्रेस्पर एकर्ट और जॉन मौचली ने ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer) का निर्माण किया, जो पहला सामान्य-प्रयोजन इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था।

युद्धोत्तर काल: कंप्यूटर युग का आरंभ

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, कंप्यूटर प्रौद्योगिकी में तेजी से विकास हुआ:

  1. वॉन न्यूमैन आर्किटेक्चर: जॉन वॉन न्यूमैन ने एक कंप्यूटर आर्किटेक्चर की रूपरेखा तैयार की जिसमें प्रोग्राम और डेटा एक ही मेमोरी में संग्रहीत होते थे। यह आर्किटेक्चर आज भी अधिकांश कंप्यूटरों का आधार है।
  2. ट्रांजिस्टर का आविष्कार: 1947 में, बेल लैब्स के वैज्ञानिकों ने ट्रांजिस्टर का आविष्कार किया, जो वैक्यूम ट्यूब की तुलना में छोटा, तेज और अधिक विश्वसनीय था। यह आविष्कार कंप्यूटरों को छोटा और अधिक शक्तिशाली बनाने में मदद करेगा।
  3. प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास: 1950 के दशक में, उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं जैसे FORTRAN और COBOL का विकास हुआ, जिसने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग को अधिक सुलभ बना दिया।

1960 का दशक: मिनी कंप्यूटर और टाइम-शेयरिंग

1960 के दशक में, कंप्यूटर तकनीक में कई महत्वपूर्ण प्रगति हुई:

  1. मिनी कंप्यूटर: DEC PDP-8 जैसे मिनी कंप्यूटरों का आगमन हुआ, जो मुख्यफ्रेम कंप्यूटरों की तुलना में छोटे और सस्ते थे।
  2. टाइम-शेयरिंग: इस तकनीक ने कई उपयोगकर्ताओं को एक ही कंप्यूटर का उपयोग एक साथ करने की अनुमति दी, जिससे कंप्यूटिंग संसाधनों का अधिक कुशल उपयोग हुआ।
  3. एकीकृत सर्किट: इलेक्ट्रॉनिक घटकों को एक छोटे सिलिकॉन चिप पर एकीकृत करने की क्षमता ने कंप्यूटरों को और भी छोटा और तेज बनाया।

1970 का दशक: माइक्रोप्रोसेसर और पर्सनल कंप्यूटर

1970 का दशक कंप्यूटर के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था:

  1. माइक्रोप्रोसेसर: 1971 में, इंटेल ने 4004 माइक्रोप्रोसेसर लॉन्च किया, जो एक सिंगल चिप पर एक पूरा कंप्यूटर प्रोसेसर था।
  2. पर्सनल कंप्यूटर: 1970 के दशक के अंत में, Apple II और Commodore PET जैसे पहले पर्सनल कंप्यूटर बाजार में आए।
  3. सॉफ्टवेयर का उदय: माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों की स्थापना हुई, जिन्होंने पर्सनल कंप्यूटरों के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर विकसित किए।

इस अवधि ने कंप्यूटर को व्यावसायिक उपकरण से व्यक्तिगत उपकरण में बदल दिया, जिसने तकनीकी क्रांति की नींव रखी जो आज भी जारी है।

आधुनिक युग और भविष्य की दिशाएं

1980 और 1990 का दशक: पर्सनल कंप्यूटिंग का विस्तार

1980 और 1990 के दशक में कंप्यूटर तकनीक में तेजी से विकास हुआ:

  1. IBM PC: 1981 में, IBM ने अपना पहला पर्सनल कंप्यूटर लॉन्च किया, जिसने पीसी के लिए एक उद्योग मानक स्थापित किया।
  2. Apple Macintosh: 1984 में, Apple ने Macintosh लॉन्च किया, जिसने ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) को लोकप्रिय बनाया।
  3. Microsoft Windows: Microsoft ने अपने Windows ऑपरेटिंग सिस्टम के विभिन्न संस्करण जारी किए, जिसने पीसी बाजार पर प्रभुत्व स्थापित किया।
  4. इंटरनेट का उदय: 1990 के दशक में इंटरनेट के व्यापक अपनाने ने कंप्यूटरों को संचार और सूचना के शक्तिशाली उपकरण में बदल दिया।
  5. लैपटॉप: पोर्टेबल कंप्यूटरों का विकास हुआ, जिससे लोग कहीं भी काम कर सकते थे।

2000 का दशक: मोबाइल कंप्यूटिंग और क्लाउड

2000 के दशक ने कंप्यूटिंग को और भी अधिक व्यक्तिगत और उपलब्ध बना दिया:

  1. स्मार्टफोन: 2007 में iPhone के लॉन्च ने स्मार्टफोन क्रांति की शुरुआत की, जिसने कंप्यूटिंग शक्ति को हर किसी की जेब में ला दिया।
  2. टैबलेट: 2010 में iPad के आगमन ने एक नया कंप्यूटिंग फॉर्म फैक्टर पेश किया।
  3. क्लाउड कंप्यूटिंग: Amazon Web Services जैसी सेवाओं ने व्यवसायों और व्यक्तियों को इंटरनेट पर कंप्यूटिंग संसाधनों तक पहुंच प्रदान की।
  4. सोशल मीडिया: Facebook, Twitter जैसे प्लेटफॉर्म्स ने इंटरनेट पर सामाजिक संपर्क को बदल दिया।

2010 का दशक और उसके बाद: AI, IoT, और क्वांटम कंप्यूटिंग

वर्तमान दशक में, कंप्यूटर तकनीक नए क्षेत्रों में विस्तार कर रही है:

  1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग: AI अनुप्रयोगों ने विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति ला दी है, जैसे स्वचालित वाहन, स्पीच रिकग्निशन, और इमेज प्रोसेसिंग।
  2. इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): कनेक्टेड डिवाइसों का नेटवर्क हमारे घरों, कार्यालयों और शहरों को स्मार्ट बना रहा है।
  3. क्वांटम कंप्यूटिंग: यह उभरती तकनीक कुछ प्रकार की समस्याओं को पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में बहुत तेजी से हल कर सकती है।
  4. वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी: ये तकनीकें हमारे वास्तविक और डिजिटल अनुभवों के बीच की सीमा को धुंधला कर रही हैं।
  5. 5G और उन्नत नेटवर्किंग: तेज और अधिक विश्वसनीय नेटवर्क कनेक्टिविटी नए अनुप्रयोगों और सेवाओं को सक्षम कर रही है।

कंप्यूटर के आविष्कार का प्रभाव

कंप्यूटर के आविष्कार ने मानव समाज पर गहरा प्रभाव डाला है:

  1. आर्थिक प्रभाव: कंप्यूटरों ने उत्पादकता में वृद्धि की है, नए उद्योगों का निर्माण किया है, और वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार दिया है।
  2. सामाजिक परिवर्तन: सोशल मीडिया और ऑनलाइन संचार ने हमारे संवाद और संबंध बनाने के तरीके को बदल दिया है।
  3. शिक्षा: ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल संसाधनों ने सीखने के नए अवसर प्रदान किए हैं।
  4. स्वास्थ्य सेवा: कंप्यूटर-आधारित उपकरण और AI चिकित्सा निदान और अनुसंधान में क्रांति ला रहे हैं।
  5. मनोरंजन: वीडियो गेम, स्ट्रीमिंग सेवाएं, और डिजिटल मीडिया ने मनोरंजन उद्योग को बदल दिया है।
  6. वैज्ञानिक अनुसंधान: कंप्यूटर मॉडलिंग और सिमुलेशन वैज्ञानिक खोज में महत्वपूर्ण उपकरण बन गए हैं।

भविष्य की चुनौतियां और अवसर

जैसे-जैसे कंप्यूटर तकनीक विकसित होती है, कई चुनौतियां और अवसर सामने आते हैं:

  1. गोपनीयता और सुरक्षा: बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता है।
  2. डिजिटल विभाजन: तकनीक तक पहुंच में असमानता एक वैश्विक चुनौती बनी हुई है।
  3. नैतिक AI: जैसे-जैसे AI अधिक परिष्कृत होता जाता है, इसके उपयोग के नैतिक निहितार्थों पर विचार करना महत्वपूर्ण है।
  4. सतत कंप्यूटिंग: कंप्यूटर हार्डवेयर के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना एक बढ़ती प्राथमिकता है।
  5. क्वांटम सर्वोच्चता: क्वांटम कंप्यूटरों का विकास पारंपरिक क्रिप्टोग्राफी के लिए चुनौतियां पेश कर सकता है।
  6. मस्तिष्क-कंप्यूटर इंटरफेस: प्रत्यक्ष मस्तिष्क-कंप्यूटर संपर्क की संभावना नए अवसर और नैतिक प्रश्न उठाती है।

निष्कर्ष

कंप्यूटर का आविष्कार एक लंबी और जटिल यात्रा रही है, जो प्राचीन गणना उपकरणों से लेकर आधुनिक AI-संचालित सिस्टम तक फैली हुई है। यह यात्रा कई प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और उद्यमियों के योगदान का परिणाम है, जिन्होंने अपने समय की तकनीकी सीमाओं को आगे बढ़ाया।

आज, कंप्यूटर हमारे जीवन के हर पहलू में व्याप्त हैं, हमारी दुनिया को आकार दे रहे हैं और भविष्य की संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। जैसे-जैसे हम भविष्य की ओर बढ़ते हैं, कंप्यूटर तकनीक के विकास के साथ-साथ इसके प्रभावों पर विचार करना महत्वपूर्ण है, ताकि हम इसकी शक्ति का उपयोग मानवता के लाभ के लिए कर सकें।

कंप्यूटर का आविष्कार मानव बुद्धि और नवाचार की गवाही देता है। यह हमें याद दिलाता है कि जटिल समस्याओं को हल करने और दुनिया को बदलने की क्षमता हमारे भीतर है। जैसे-जैसे हम भविष्य की चुनौतियों का सामना करते हैं, कंप्यूटर के आविष्कार से प्रेरणा लेकर हम नए समाधान खोज सकते हैं और मानव ज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ा सकते हैं।


Kangana Ranaut On Partner: कंगना रनौत कब करेंगी शादी? लड़कों को ऐसी लड़कियां पसंद नहीं होती

कंगना रनौत ने एक पॉडकास्ट में कहा था कि वह शादी करना चाहती हैं और बच्चे पैदा करना चाहती हैं. हालांकि, समय के साथ अपनी पसंद का पार्टनर ढूंढना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि पार्टनर के बिना जिंदगी मुश्किल है.

Kangana Ranaut On Partner: बॉलीवुड एक्ट्रेस और हिमाचल के मंडी से सांसद कंगना रनौत इन दिनों सुर्खियों में हैं। अभिनेत्री की अगली फिल्म “ईआर” का ट्रेलर जारी कर दिया गया है। फिल्म के प्रमोशन के दौरान कंगना ने अपनी शादी और पार्टनर के बारे में दिलचस्प राज खोले। एक्ट्रेस ने बताया कि वह कब और किससे शादी करेंगी। कंगना रनौत ने यूट्यूबर राज शमानी के पॉडकास्ट पर अपनी शादी की योजना साझा की। यह भी बताया गया कि पुरुषों को कौन सी महिलाएं पसंद नहीं आतीं।

कंगना शादी करना और बच्चे पैदा करना चाहती हैं

कंगना रनौत से जब शादी और बच्चों को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इसपर हामी भरी. एक्ट्रेस ने क्या शादी करना अनिवार्य है जैसे सवाल पर कहा, ‘मुझे लगता है कि हर किसी के पास एक साथी होना चाहिए. पार्टनर के साथ भी मुश्किलें होती हैं और उसके बिना भी. वो बात अलग है कि आपको अपना साथी ढूंढना होगा. आज के समय में अपने मन पसंद का साथी तलाश करना बहुत बड़ी मुसीबत है.’

महिलाएं बलिदान देना बंद करें

इसके अलावा कंगना ने यह भी बताया कि पुरुषों में सबसे बड़ा रेड फ्लैग यानी खतरा क्या है? इस पर उन्होंने कहा, कोई भी रिश्ता दोनों तरफ से होना चाहिए. अगर सिर्फ आप बलिदान दे रहे हैं तो ये ज्यादा समय नहीं चलेगा. बहुत सारे रिश्ते खत्म हो जाएंगे अगर औरत बलिदान करना बंद कर दें.

पुरुष सफल महिलाओं से नफरत करते हैं

कंगना रनौत ने बताया कि मर्दों को वैसी औरतें पसंद नहीं आती हैं जो उनसे ज्यादा कामयाब हों. लड़कियों के लिए यह सबसे बड़ा रेड फ्लैग है, भले वो इस पर यकीन न करें, लेकिन सच यह है कि कोई फर्क नहीं पड़ता आप कितनी स्मार्ट हैं, कितनी कामयाब हैं, लेकिन एक मर्द वैसी लड़की को कभी पसंद नहीं करेगा जो उससे ज्यादा कामयाब या टैलेंटेड है. रिलेशनशिप में चीजें इसी तरह होती हैं.लड़कों को खुद से ज्यादा कामयाब औरत कभी नहीं झेली जाती वो सिर्फ जलते हैं.

अपनी बात में कंगना ने यह भी कहा कि, अक्सर औरतों को भी औसत लड़के पसंद नहीं आते हैं. वह हमेशा खुद से ऊपर और सक्सेसफुल लड़कों को ही पार्टनर चुनेंगी. औसत और बिना टैलेंट वाले लड़कों को वो दोस्त या भाई बना लेंगी.

‘Girls Trip’ already surpasses ‘Rough Night’ in opening weekend

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